गजल(इल्जाम)
गजल(इल्जाम)
क्यों देते हो सफाई फिजूल के इल्जाम की,
कौन सुनेगा तू बात कर अपने काम की।
सगी नहीं रही ये दुनिया,
सीता राम की, लेनी पड़ी अग्नि परीक्षा सीता पर इल्जाम की।
खेल नफरत का देखना करो बन्द,
लोग तो कसते रहते हैं तंज पे तंज।
भगवान तो होते हैं प्रेम के भूखे,
रखो विश्वास, जनता चाहे रूठे तो रूठे।
सच्चाई, ईमानदारी से करता चल हर काम,
घर में बैठ कर ही कर लोगे चारों धाम।
लोग दिखावा नहीं किसी काम का, रख मन साफ
करते चल भजन भगवान का।
लोग तो करते रहते हैं पहरेदारी,
रख आस्था भगवान पर नहीं छीन सकता कोई किस्मत तुम्हारी।
तू लगन से हर काम करता चल,
बस बढ़ता चल बढ़ता चल, मत देख दुनिया की हलचल।
रख यकीन अपने ईमान पर मत रूक सुदर्शन
किसी के इल्जाम पर बस बढ़ता चल बढ़ता चल।
नहीं छूटती उस प्रभु की नजर एक भी पल,
कौन अच्छा कौन बुरा वो देख रहा है हर पल तू बढ़ता चल, तू बढ़ता चल।