गजल(दूरियां)
गजल(दूरियां)


भला करके जतांए , जरूरी नहीं,
हरेक को सुनाएं जरूरी नहीं।
वफादार होकर चलते रहे जो,
बेवफा ही कहलांए , जरूरी नहीं।
गम छुपा कर भी मुस्कराते हैं कुछ लोग,
जख्म सभी को दिखाएं जरूरी नहीं।
सांझा हो कर भी जो समझ न सके,
दूरियाँ यूं ही बनाएं जरूरी नहीं।
क्यों खफा खफा दिखते हैं फिर भी वो, हर समय
उनको ही रिझांए जरूरी नहीं।
दोष, अवगुण तो हरेक में होते हैं सुदर्शन, खामियां
ही किसी की गिनाएं जरूरी तो नहीॉ।
बद दुआ फिजूल की स्वीकार हैं,
झूठी दुआएं ही कमाएं जरूरी तो नहीं।