गजानन
गजानन
माता पार्वती के हल्दी उबटन से जन्म हुआ था जिनका,
भोले नाथ के हैं प्यारे, गणपति गजानन नाम है उनका,
नियति ने रची एक ऐसी रचना जिसको तो होना ही था,
क्रोधित होकर भगवान शिव ने शीश उनका काट दिया,
अपने पुत्र की यह अवस्था देख माँ के अश्रु रुक न पाए,
शीश धड़ से अलग हुआ तब माता पार्वती ने विलाप किया,
माता पार्वती के क्रोध से सभी देव थर थर जब कांप रहे थे,
सुझाव मिला किसी नव शिशु का शीश शीघ्र जाकर ले आए,
मिला गज के नव शिशु का शीश तब धड़ उन्हीं का ले आए,
भगवान शिव ने जोड़ दिया मस्तक और गजानन वो कहलाए,
हे गणेश, गजानन आप कृपा दृष्टि हम सब पर बरसाओ,
रिद्धि- सिद्धि के साथ पधारो शुभ-लाभ संग अपने ले लाओ,
शुभ कर्म और दिन का आरंभ करो गजानन का लेकर नाम ,
जब भी लेते गजानन का नाम होता इसका शुभ परिणाम,
गणेश, गजानन, एकदंत, शिवनंदन कितने ही नाम है तेरे,
अर्पित करते श्रद्धा सुमन चरणों में आपके हे गजानन मेरे II