गीत
गीत
अपने दिल की अपने मुख से,
गीत एक सुनाता हूं ,
बीते दिनों की सुखद यादों में,
आज तुम्हें ले जाता हूं।
अफवाहें जब चली कोरोना,
दर्द बहुत सताये हैं।
रोटी रोजी की ख़ातिर देखो,
कितने दुख उठाए हैं
अफवाहों के इस महा दौर में
कसम आज यह खाता हूं
अपने दिल की अपने मुख से,
गीत एक सुनाता हूं।
कितना सुंदर होता था तब,
खाना-पीना-सोना,
कितने जन बर्बाद हो गए,
दर्द दे गया आज कोरोना,
कितनी ख़ुशियाँ छीन लयी हैं,
मैं दर्द सुरों में गाता हूं,
अपने दिल की अपने मुख से,
गीत एक सुनाता हूं।
कोरोना और नौतपा सता रहा,
नहीं मिला कोई आराम ,
बंद कमरे में उठ बैठ कर,
लेते हैं प्रभु का नाम ,
कैसे बीतेंगे गर्मी के दिन
आज तुम्हें बताता हूं ,
अपने दिल की अपने मुख से,
गीत एक सुनाता हूं।
अफवाहों का दौर चला जब
मन को खूब सताया डर
अब तो कोरोना छोड़ पीछा
बोल रहे हम हर हर
अपने दर्द से आज जगत को
अपनी व्यथा बताता हूं।
अपने दिल की अपने मुख से,
गीत एक सुनाता हूं,
बीते दिनों की सुखद यादों में,
आज तुम्हें ले जाता हूं।।