घर सूना हो गया
घर सूना हो गया


कोई उदास नहीं था,
सब अपनी कामयाबी पर खुश थे,
कुछ उलझनपन भी नहीं थी,
गुजर रही थी जिन्दगी।
तुम ही थे,
हर मुश्किल को संभालते थे,
परेशानियाँ यूँ ही गायब होती थी,
पर तुम्हारी आँखों में पानी था,
कोई पढ़ न सका।
तुम यूँ ही चले गए बहुत दूर,
सब ने अपने मतलब से
जीवन बिता दिए,
फिर घर सूना हो गया
गुम हो गए सब।