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ASWINI DASH ଅଶ୍ୱିନୀ ଦାଶ

Others

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ASWINI DASH ଅଶ୍ୱିନୀ ଦାଶ

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जैसे कुछ हुआ ही नहीँ

जैसे कुछ हुआ ही नहीँ

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जिंदगी बदलती रही,आंखें पिघलती गईं,

दिन की प्रतीक्षा में कई रातें बिखर गईं।


सपने आते रहे, कोई जागता रहा,

कोई पूछता रहा, तू हँसता रहा।


सब ढूंढते रहे, राहों पर चलते रहे,

दिया जलाते रहे, मंजिल पर अड़ते रहे।


जैसे कुछ हुआ ही नहीँ,तू आकर मुस्कराया,

सब सोने गए, जैसे चाँद आ गया।


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