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Poonam Matia

Drama

5.0  

Poonam Matia

Drama

ग़ज़ल

ग़ज़ल

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उल्फ़तों के खेत में,

उसके ही ग़म बोते रहे,

फ़स्ल की गठरी उठाये,

उम्रभर ढोते रहे।


बंद पलकों में कुछ,

आँसू रात मचले बेसबब,

नींद क्या आई बहाना,

ओढ़ कर सोते रहे।


याद आयी फिर,

किसी की मेहरबानी,

देर तक आँसुओं से,

दाग़ दिल के,

रात भर धोते रहे।


दूरियाँ दिल की बढ़ी पर,

बढ़ी हैं किसलिये दोनों,

वाकिफ़ हैं मगर,

रिश्ते सभी ढोते रहे।


हम कभी नज़दीकियों से थे,

परेशां बेतरह दरमियाँ,

अब सिलवटों को,

देखकर रोते रहे।


चाहते तो थे कि 'पूनम',

आज शब रौशन करे,

रात काली थी,

अमावस ओढ़ कर सोते रहे।


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