ग़ज़ल- उनके बग़ैर ज़िन्दगी
ग़ज़ल- उनके बग़ैर ज़िन्दगी
ज़िन्दा मेरे वजूद की कहानी लगे मुझे
उनके बगैर जिंदगी भी बेमानी लगे मुझे।
उनकी मोहब्बतों के ही दम जीये मगर,
ग़म दीदा ख्वाहिशों की जुबानी लगे मुझे।
दिल की तड़प ने पहुंचाया उस मुकाम पर,
मिलने की ही उम्मीद पे रूहानी लगे मुझे।
मेरा नसीब खींच के वहीं लाया तेरी तरफ,
बिमारे जांबलब की ही निशानी लगे मुझे।
मासूम बने सहारे का यूं हमें आसरा मिला,
हर तरहा से ही तेरी मेरी कहानी लगे मुझे ।

