घानाक्षरी
घानाक्षरी
आपको जो देख ले वो देखता ही रह जाए ,
लाखों और करोड़ों में चाँद सा ये रूप है
आपको बनाने वाला आप ही हैरान सा है
कौन सी घड़ी में बनी सूरत अनूप है
सूरज भी शरमाये देख तेज चेहरे की
आप आयें छाँव में तो खिल जाती धूप है
फुरसत में आपको ही गढ़ा है विधाता ने ,
आपके तो सामने आ परी भी कुरूप है।
