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सतीश मापतपुरी

Abstract

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सतीश मापतपुरी

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परिंदा

परिंदा

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राह  में  बीच  से यूँ  कहाँ  गुम हुए,

हो सके तो सनम कुछ पता दीजिए।

प्यार  को आप समझे परिंदा सनम,

खेलिए, जी भरा  तो  उड़ा दीजिए।



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