STORYMIRROR

सतीश मापतपुरी

Abstract

3  

सतीश मापतपुरी

Abstract

परिंदा

परिंदा

1 min
415

राह  में  बीच  से यूँ  कहाँ  गुम हुए,

हो सके तो सनम कुछ पता दीजिए।

प्यार  को आप समझे परिंदा सनम,

खेलिए, जी भरा  तो  उड़ा दीजिए।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract