सतीश मापतपुरी
Inspirational
जितना सुलझाओ इसे,उतना ही अझुराय।
लालच का यह जाल है,अब काहे पछताय।
चुनाव के भगवा...
मोबाइल
परिंदा
नशा
नासूर
जाल
तिरंगा
सावनी दोहे
जय हिन्द
नारी
नारी अपने हरेक रूप में विशिष्ट संतति की पहचान है ! नारी अपने हरेक रूप में विशिष्ट संतति की पहचान है !
मुस्कराकर अपनी ही ख्वाहिशों को तोड़ देता है शायद उसे ही पिता कहते हैं। मुस्कराकर अपनी ही ख्वाहिशों को तोड़ देता है शायद उसे ही पिता कहते हैं।
ना जाने कैसे उसकी माँ रात भर सोए होगी, उसके सीने में गोली लगने से पहले वो रोई होगी। ना जाने कैसे उसकी माँ रात भर सोए होगी, उसके सीने में गोली लगने से पहले वो रो...
घर घर रंगोली सजेगी,सजेगा दरवाजे पर वंदनवार लगेगी दीपों की आवली हर घर,हर द्वार। घर घर रंगोली सजेगी,सजेगा दरवाजे पर वंदनवार लगेगी दीपों की आवली हर घर,हर द्वार।
जीवन को फूलों सा महकना है अभी तो चिड़िया सी बनकर चहकना है। जीवन को फूलों सा महकना है अभी तो चिड़िया सी बनकर चहकना है।
जगमग हो रही है अयोध्या जरा नज़रों को उठा कर देखो। जगमग हो रही है अयोध्या जरा नज़रों को उठा कर देखो।
ए दोस्त रुकना अभी जाना नहीं अभी रवानी बाकी है। ए दोस्त रुकना अभी जाना नहीं अभी रवानी बाकी है।
पर तुम दोनों के दिल कि रुह यानी की मैं अब भी तड़प रहा हूँ बंधन से बंधा हूँ, पर तुम दोनों के दिल कि रुह यानी की मैं अब भी तड़प रहा हूँ बंधन से बंधा हूँ,
स्वार्थ के सब मीत यहां,स्वार्थ के रिश्ते-नाते हैं। स्वार्थ के सब मीत यहां,स्वार्थ के रिश्ते-नाते हैं।
माता-पिता भाई बहन सब एक ही परिवार के अंग हैं , माता-पिता भाई बहन सब एक ही परिवार के अंग हैं ,
जो अँधेरा मुझे निगल गया था वही मेरी बच्ची के भविष्य की ओर बढ़ रहा था लेकिन अब मेरे विद्रोह के ज्वाल... जो अँधेरा मुझे निगल गया था वही मेरी बच्ची के भविष्य की ओर बढ़ रहा था लेकिन अब म...
उन्माद ये ऐसा, पल में जो जगा दे विद्रोह, उन्माद ये ऐसा, पल में जो जगा दे विद्रोह,
नारी इस जग की जननी है वन्दन उसको हम करते हैं।। नारी इस जग की जननी है वन्दन उसको हम करते हैं।।
तुम दर्द को मुस्कराहट में दबा दो, तुम हर गम को दिल से हटा दो। तुम दर्द को मुस्कराहट में दबा दो, तुम हर गम को दिल से हटा दो।
मैंने कहा- "तुम स्त्री जात हो इसीलिए भावनाओं की गंगा में बहती रहती हो मैंने कहा- "तुम स्त्री जात हो इसीलिए भावनाओं की गंगा में बहती रहती हो
रौशन घर का हो हर कोना चलो फिर एक दीप जलाते हैं। रौशन घर का हो हर कोना चलो फिर एक दीप जलाते हैं।
तुम फिर प्रयास करो यशवंती अपना भुजबल आजमाओ तुम। तुम फिर प्रयास करो यशवंती अपना भुजबल आजमाओ तुम।
लाखों पीड़ा ह्रदय में समेटे तुम सब का बिहार हूँ मैं! लाखों पीड़ा ह्रदय में समेटे तुम सब का बिहार हूँ मैं!
मैंने विरासत में करोड़ो पाने वालो को, छिपने में सुकून महसूस करते देखा है| मैंने देखा है, मैंने विरासत में करोड़ो पाने वालो को, छिपने में सुकून महसूस करते देखा है| मैंने द...
हम सबकी सुनेंगे... लेकिन हमें कोई नहीं.... कोई नहीं सुन सकता। हम सबकी सुनेंगे... लेकिन हमें कोई नहीं.... कोई नहीं सुन सकता।