नासूर
नासूर
आए जरूर दिल को जला कर चले गए।
नासूर मेरे घाव बना कर चले गए
ग़मगीन किसके वास्ते है कोई भी यहाँ,
रस्मन ही लोग फूल चढ़ा कर चले गए।
हैरत है ख़ुदकुशी को सियासत बना दिया,
आए बुझाने आग लगा कर चले गए।
मैंने सुना था आप हुनरमंद हैं बड़े,
ख़ुद सा ही क्यों न मुझको बना कर चले गए।
आते नहीं हैं बह्र में मापतपुरी कभी,
जो दिल में आ गया वो सुना कर चले गए।