गगन में स्याही
गगन में स्याही
देश में बहे खूं से
उस देश के झंडों को रंगा जाए
आज़ादी की आवाज जो बुलंद कर
हमें आज़ादी दिलाई
उनके छलनी देह को
उनके कटे सीस को
झंडे के बीचों-बीच रोपा जाए
काले अक्षर से
नीले गगन में बाबा के
किताब को लिखा जाए
लिखा जाए अपमान को
लिखा जाए हत्यारों के नाम को
और यह भी लिखा जाए की
हत्यारे किस गद्दी पर विराजमान थे
किस गद्दी की इज्जत उछाल रहे थे
और यह भी लिखा जाए की
सड़कों पर किनकी लाशें पड़ी थी
किनकी अमीरी और किनकी फ़कीरी
की जनता ने बातें पढ़ी थी
पेड़ो पर किनकी लाशें थी
थाली में किनकी रक्त बही थी
किनकी लाशों पर बैठे
हम भोजन और जल पान किये थे
काले अक्षर से यह सब लिखा जाए
हर बात को दोहराया जाए।