अंतर्मुखी
अंतर्मुखी
क्या बात करें
क्या बात करें
की यह खुद में ही न
हमारे लिए सवाल है
अगर इसका कोई कोर्से हो
तो झट से हमें दे दो
क्या है न की हम
दोस्ती करने से पहले
यही सोच कर रुक जाते है
की, क्या बात करें
की खुद की जो अकेले वाली
दुनिया है
वो मेरी अब मज़बूरी नहीं
जब मन करें सो जाना
थोड़ा पढ़ना और
ज्यादा खुद के ख्यालों में
गोता लगाना
की सायद तुम्हारे लिए
हम अंतर्मुखी हो सकते है
लेकिन हमें तो इसके
मतलब का भी कोई
अंदाजा नहीं।
की तालाबंदी, तुम्हारे लिए
एक सजा होगी
हम तो सालों से एसे ही जिते रहे
हाँ स्कूल जाते थे
और बातें भी करते थे
मगर बाहर में कुछ ही से
और कभी-कभी ही
मुलाकात करते थे
लेकिन वो चड्डी-बद्दी जिसे
कह सकूँ वो वाली
दोस्ती कभी हुई ही नहीं
की आखिर हमें
पता भी तो नहीं की
क्या बात करें
खुद से तो करने को
बहुत से बातें है
मगर दूसरों से करने को
बहुत कम हो जाते हैं
कई बार तो
हम सोच में पड़ जाते हैं कि
क्या बात करें
इन्शान सामने खड़ा होता है
और मन में ही कई ख्याल बन जाते हैं
और अंत में हम
बस इसी सोच में डूब जाते हैं
कि, क्या बात करें।