गार
गार
नफ़रत सी होती है मुझे
उन हवाओं के लहरों से
जो बेवजह छू जाती है
तेरे इन गालों के गारो से
प्यार भी तो होता है उनसे
जब बालों को उछालती है
सवारते हुए उन्हें चेहरे से
तेरे चेहरे की गार खिलती है
तेरे गालों के इन गारो में
डूब जाने को जी करता है
कहीं छोड़ ना दे तू साथ मेरा
इस बात से हर पल डरता है
जब भी तू देखती है मुस्कुरा के
क़यामत से ढाती है मुझ पे
देख तेरे चेहरे की हसीन गार
दिल आ जाता है फिर से तुझ पे
पता है तू जाएगी मुझे छोड़ के
लेकिन प्यार कभी कम ना हो पाएगा
जब तक जिंदा हूं मैं इस जहां में
तेरे इन गारो में आँसू ना छाएगा