माँ
माँ
यहां कोई पढ़े वेद, पुराण तो कोई पढ़े बायबल ,कुरान।
जो ना समझे मा की ममता, नहीं उसके जिस्म में जान।।
सारा जीवन करती अर्पण , सच्चे प्यार का वही दर्पण।
वो अपने सारे ख्वाहिशों को करती हमारे लिए समर्पण।।
कुछ न दे सको तो भी ठीक,बस देना उसे आप सम्मान।
रात - रात भर वो जागे, हर पल मेरे लिए ही तो भागे।
उस भगवान का रूप नहीं , वो मुझे भगवान ही लागे।।
कैसा भी हो उसका लाड़ला, उसे रहें उसका अभिमान।
उसके चरणों में मै जन्नत पाता,उसके बिना जिया न जाता।
ये रिश्ता है अनदेखे अनकहे प्यार का, सारे जहां को भाता।।