माँ
माँ
है एक पगली... जो मुझसे बहुत प्यार करती है
बेवजह हर पल हर लम्हा मुझे खोने से डरती है
जब भी हारने लगु जिंदगी के दर्द से मै अकेला
बिना कहे ही सब जानकर, मेरा हात संवरती है
सारी दुनियां जब कर देती है मुझे खुद से पराया
वो एक ही है जो प्यार से मुझे बाहों में भरती हैं
भले ही वो खुदा लिख दे गमों भरा मेरा नसीब
वो अपने प्यार, दुआ से उन गमों को भी हरती है
वो कोई माशूका या दिलरुबा नहीं मेरी माँ है वो
इसीलिए तो मेरे उपर नहीं मेरे लिए रोज मरती है।