अजनबी
अजनबी
वो ना मेरा प्यार थी
ना ही वो मेरा यार थी
फिर भी मेरे दिल में बसी
एक अजनबी बहार थी
उसके आने से जिंदगी में
एक अजीब सी खुशी है
बस वही है एक जो
मेरे दिल में आज भी बसी है
तू चाहे कबूल कर या ना कर
फिर भी जिंदगी भर तुझे चाहूंगा
इस दिल की हर एक धड़कन में
बस तेरा ही जुनून पाऊंगा
तू तेरे खुशी के खातिर
एक दिन मुझे छोड़ के जाएगी
जब भी मिलेगी दोबारा
तेरे इंतज़ार में मुझे पाएगी