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Prashant Tribhuwan

Romance

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Prashant Tribhuwan

Romance

दूरियां

दूरियां

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हैं हमारे बीच में दूरियां

फिर भी अपना मानता हूं

तू कहे कितना भी है सकून

फिर भी तेरा दर्द जानता हूं।


बस इसीलिए नहीं दिखता

कि मुश्किल ना हो छोड़ना तुझे

क्या बताए हाल ए दिल मेरा

दर्द भी होता है तेरे बिना मुझे।


बस तू तेरा दर्द बताती है

लोगों से सकून पाने के लिए

मै सहता रहता एकेले तन्हा

और सोचता हूं कैसे जिएं।


दर्द तो मै भी कर दू बयां

पर डरता हूं तू रो देगी 

सोचकर दर्द की साथी

तू मुझे अपना लेगी।


इसीलिए सोचता हूं कभी कभी

फासले ही अच्छे है हममें

खुश होता हूं पाकर साथ

और खुद को देखता हूं तुममें।





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