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Sarita Saini

Abstract

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Sarita Saini

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गाँव की शाम

गाँव की शाम

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गाँव की शाम, 

वो आम की छाँव।


वो गायों का घर को लौटना,

वो खेतों और खलिहानों में

तुम संग घंटों बतियाना।।


वो बहाने से तुम्हारा मेरे घर को आना,

सबसे नज़रें बचा के वो तुम्हारा मुझे छेड़ जाना।


वो मेरा बिन बात के तुझपे बरस जाना,

हाय क्या करूँ बहुत याद आता है वो बचपन सुहाना।


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