गुरू पूर्णिमा
गुरू पूर्णिमा
सिखा तो बहुत कुछ हैं इस जहां में
हर सिखाने वाले को गुरू की पूर्णिमा पर कोटि कोटि प्रणाम
जीवन की राह में पहला कदम माँ ने सिखाना
मेरी हर राह हर क़दम की गुरू को चरण स्पर्श
गुरू भी बिना माँ के कहाँ पूर्ण हैं॥
तभी तो पूर्ण गुरू,गुरू पूर्णिमा कहलाये
अच्छे से अच्छा सिखा तो
बुरे से बेहतर बनना सीखा।
गुरू की हर परीक्षा में खुदको निखरना सिखा
मेरे गुरू की हर डाँट ने मुझे ओर मज़बूत बनाया॥
जीवन की हर डगर पर गुरू का आशीष चाहिये
गुरू बिन जीवन की कल्पना ही बेकार हैं।