गुरु महिमा
गुरु महिमा
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गुरुवर आपने मुझे दिया है अच्छे बुरे का ज्ञान,
आपको कोटि -कोटि प्रणाम -2
आपके सानिध्य में सीखा मैं, बनना कैसे महान ।
आपको कोटि-कोटि प्रणाम।।
मैं तो एक अबोध था बालक, अज्ञानी और नादान था।
घर में ना कोई पढ़ा-लिखा, ज्ञानी ना ही विद्वान था ।
आपने हाथ पकड़ कर पढ़ना-लिखना मुझको सिखलाया ।
कैसे किसी से बोलना और व्यवहार करना भी बतलाया।
आप के कारण जीवन जीना, मेरा हुआ आसान।।
आपको कोटि-कोटि प्रणाम।।
आपने शिक्षा दी है, कैसे जीवन यापन करना है?
किसी दूसरे प्राणी को, हमें दुख देने से डरना है।
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बिना कल-छल कपट किए धनोपार्जन कैसे करना है।
सबके हित के बारे में सोचना, सबकी भलाई करना है।
आपका यह गुरु मंत्र सिखाया, जीवन अनुसंधान ।।
आपको कोटि-कोटि प्रणाम।।
ऊंच-नीच और छुआछूत का गुरुवर भेद मिट आए थे।
हम सब ईश्वर की संतान है, गुरुवर आप बताए थे।
गुरुवर ज्ञान अमृत का घूंट पी-पीकर मैं तो बड़ा हुआ।
आपके ज्ञान की बैसाखी ले, जीवन पथ पर खड़ा हुआ ।
मेरे लिए आप रब से बड़े, यह जीवन आपको दान।।
आपको कोटि-कोटि प्रणाम।।