ये जो बारिश है
ये जो बारिश है
अभी हुआ मेघ-
धारासार...
मूसलाधार...
लगा -
जैसे-
छिद गया हो....
एक बड़ा- सा..
बहुत बड़ा- सा...
गुब्बारा!
जैसे -
पानी से भरे...
किसी बड़े से.....
धूसर पॉलिथीन की....
पेंदी में चुभ गया हो जैसे....
कोई बड़ा - सा पेड़!!
अभी......
हाँ, अभी.....
पेड़ ही तो बरसा है!
बरसे हैं पौधे!
बरसी है उमंग!
प्यासी धरती की।
या...
बरसी है कृपा!
जैसे.....
साक्षात् ....
शिव ने खोल दी हो,
जटाओं की एक-एक लट!
गंगा को धरती पर उतारने !
हाँ, ये गंगा ही तो बरसी है !
बेचैन मन को....
शांत करती हुई.....
झमाझम बरस कर गई हो जैसे !
और दाँत खीरता हुआ सूरज....
किसी उद्दण्ड बच्चे की तरह....
मुँह चिढ़ाता, दौड़ गया
अपने घर की दहलीज़ तक !