नदिया के दो पाट
नदिया के दो पाट
दो परस्पर विरोधी गुणों का
लोग प्राय: करते हैं जिक्र
एक गुण का धारक करेगा
कभी न दूसरे की फिक्र
एक अगर हावी हुआ तो
दूसरा रहेगा न कहीं शेष
फिर हम क्यों करें दोनों
की एक संग चर्चा विशेष
नदिया के दो पाट सी होती
इन दोनों गुणों की तासीर
विधि ने जो भी लिखी हो वैसी
इंसान को मिल जाती तकदीर
मोहब्बत में हर किसी को रहे
है बस वफा की ही उम्मीद
उल्टा होए परिणाम तो मिले
बेवफाई. मन को भी ताकीद।