STORYMIRROR

Sukhnandan Bindra

Abstract Inspirational

4  

Sukhnandan Bindra

Abstract Inspirational

मिल जाए मुझे परमात्मा कभी

मिल जाए मुझे परमात्मा कभी

1 min
377

जी में आता है......

मिल जाए मुझे परमात्मा कभी

बैठूं बोलूं बतियाऊं उसके संग

पूछूं मन के सवाल सभी


हे प्रभु !! किस कारण

तुमनें मुझको जग में भेजा ?

ये दुनिया मुझको जंचती नहीं

झूठ फरेब छल कपट की बातें

कभी मुझे पचती नहीं


दे कर मुझको निर्मल काया

तिस पर क्यूं तुमने...

माया मोह का रोग लगाया ?

सारे जीव जो तुमने बनाए

तो फिर धोखेबाज,अत्याचारी

बलात्कारी कहां से आए ?


प्रभु बिना तेरी मर्ज़ी के अगर

कोई पत्ता तक हिलता नहीं

तो क्यूं खुले है वृध्दाश्रम

क्यों किसी का दिल पिघलता नहीं ?


प्रभु तुम हो जग के पालनहारे

तो क्यूं भूख से बिलखते हैं

छोटे-छोटे नौनिहाल बेचारे ?

तुम हो बड़े गरीब नवाज़

तो क्यूं लूटते हैं सब इक दूजे को

क्यूं नहीं हैं, पैसे सब के पास ?


प्रभु! ये सब करतब तुम्हारे ....

जोगी बनें भोगी, साधू हुए मन के रोगी

पहनें चोगा जोग का, जमाया आसन भोग का

गर तुम सम दृष्टि रखते हो

तो हर इन्सान को क्यूं परखते हो ?


प्रभु! कैसी तुम्हारी लीला है

तन से तो सब तर हैं

पर मन न किसी का गीला है

कोई तन से तो कोई मन से बीमार है

तेरी छत्रछाया में प्रभु ये कैसाअत्याचार है ?


तुम मुझे मिलो ज़रा एक बार

मेरे पास हैं तुम्हारे लिए प्रभु

सवाल एक हज़ार।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract