दुश्मनी ही तो तुमसे मैं
दुश्मनी ही तो तुमसे मैं
दुश्मनी ही तो तुमसे मैं, नहीं कर पाया अब तक।
करता तुमसे दुश्मनी तो, शेष क्या बचता अब तक।।
दुश्मनी ही तो तुमसे मैं -----------------------।।
चाहे तुम मानो कुछ भी, मेरा है प्यार पवित्र।
होता मैं सौदागर तो, मोल नहीं रहता अब तक।।
दुश्मनी ही तो तुमसे मैं ---------------------।।
गुस्सा भी आया कभी तो, दिखाई मैंने शराफत।
होती तुमसे नफरत तो, नाम मिट जाता अब तक।।
दुश्मनी ही तो तुमसे मैं ----------------------।।
कभी नहीं प्यासा रहा मैं, तेरी दौलत-ओ-जमीं का।
शर्म नहीं होती मुझमें तो, दामन लूट जाता अब तक।।
दुश्मनी ही तो तुमसे मैं -----------------------।।
खुदा से मैं तो हमेशा, मांगता हूँ तेरी खुशियाँ।
बेखबर होता तुमसे तो, बुझ जाता दीपक अब तक।।
दुश्मनी ही तो तुमसे मैं-----------------।।