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Vijay Kumar parashar "साखी"

Tragedy

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Vijay Kumar parashar "साखी"

Tragedy

फ़िर क्यों

फ़िर क्यों

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तुमसे दोस्ती भी न थी

तुमसे दुश्मनी भी न थी

फ़िर क्यों किया दगा,

तुमसे दिल्लगी भी न थी।


तुम हमारा क़त्ल चाहते थे

हम तुम्हारा भला चाहते थे

फ़िर क्यों

पीठ पीछे छुरा घोंप दिया,

ऐसी मुझमें कमी भी न थी।


दिल तुम्हारा तोड़ा नही

फूल में शूल छोड़ा नही

फ़िर क्यों मारा पत्थर,

ऐसी आईने की सूरत

बदसूरत भी न थी।



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