फ़िर क्यों
फ़िर क्यों
तुमसे दोस्ती भी न थी
तुमसे दुश्मनी भी न थी
फ़िर क्यों किया दगा,
तुमसे दिल्लगी भी न थी।
तुम हमारा क़त्ल चाहते थे
हम तुम्हारा भला चाहते थे
फ़िर क्यों
पीठ पीछे छुरा घोंप दिया,
ऐसी मुझमें कमी भी न थी।
दिल तुम्हारा तोड़ा नही
फूल में शूल छोड़ा नही
फ़िर क्यों मारा पत्थर,
ऐसी आईने की सूरत
बदसूरत भी न थी।
