एकता में बल हैं
एकता में बल हैं
एकता में ही बल है वरना काज़ विफल है,
समय भी बच जाता,कार्य होता सफल है,
अकेला एकलखोर होता,संगठन में शक्ति है,
जैसे कि एकल और संयुक्त परिवार की गति है
मंज़िल यदि एक ही हो तो हमराही बनना चाहिए,
क्योंकि लक्ष्य भटक गये तो मंज़िल कहाँ से पाइये!
लक्ष्य व मंज़िल की दूरी हर कोई कैसे पूरी करें,
प्रमाद से भटक जाते लक्ष्य गंतव्य तक पहुँचत पहुँचते,
आजकल यही हो रहा काम तो कोई और कर रहे,
पर औरों के काँधे पर रखकर तीर चलाये जा रहे,
कहावत है कि अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता,
और यदि एक और एक मिल जाये तो ग्यारह होता,
संगठित मानव बल सफलता के शिखर पर पंहुचाता,
वरना मैं,मेरा करके तो अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मारना।।