एक तुम और एक वक्त
एक तुम और एक वक्त
एक तुम हो, और एक वक्त है
दोनों भी रुकते नहीं
तुम्हारे आगोश में गुजारे ये पल,
इन के जैसा तो बदमाश कोई नहीं...
पलक झपकते ही गुजर जाते है..
और फिर लौट आते है रात को,
सिरहाने बैठ कर बतियाते है...
जैसे तुम फिर पास हो बांहों में मुझे जकड़े हुए...
एक तुम और ये वक्त दोनों भी रुकते नहीं....