एक सवाल...?
एक सवाल...?
वक्त वक्त कि बात है...
एक वक्त था जब दोस्तों की टोली हुआ करती थीं...
वक्त के साथ साथ सब दोस्त बिछड़ गए...
कुछ ने अपना असली रंग दिखा दिया...
जिनको हमने खास समझा उनको हम सर दर्द लगने लगे...
आज दुनिया की इस भीड़ में...
कोई ऐसा नहीं जिनसे हम खुल कर बात कर सके...
ऐसा लगता हैं जैसे दुनिया एक नदी के एक किनारे...
और हम नदी के एक छोर पर खड़े हैं...
किसी से नहीं बनती हमारी क्यों...
ये सवाल दिन व दिन और गहरा होता जा रहा है...
जो मुझे समझ आते हैं वो छोड़ कर चले जाते हैं...
शायद उन्हें हम समझ नहीं आते...
और जो मुझे समझ ना आए उन्हें मैं छोड़ देती हूं...
सालो से एक ही सवाल है...
क्या कोई ऐसा हैं जिसे मैं समझ सकूँ...