हिन्दी दिवस
हिन्दी दिवस
मैं संस्कृत से उपजी
भारत की मिट्टी में रची बसी
स्वतंत्र भारत की
राजभाषा घोषित हुई
14 सितंबर 1949 के दिन।
पर अफसोस
जो प्रतिष्ठा, आदर, मान
मिलना चाहिए था
आज तक नहीं मिला।
कोर्टस की भाषा
अनौपचारिक रुप से
उर्दू ही बनी रही
ऑफिसज़ की भाषा इंग्लिश।
आधी दुनिया में
बोली जाने वाली भाषा
अंग्रेज़ी ने मुझे दबा दिया।
मैं समझती हूं
मैं एक प्रचुर और धनी भाषा हूं
मेरा साहित्य बहुत घना है।
किसी और से मुझे
खतरा नहीं है
न क्षेत्रीय
न ही विदेशी भाषाओं से
खतरा है तो केवल आज के
पढ़े लिखे लोगों से
देखा देखी जनसाधारण से भी
स्वयं तो सरकारी स्कूलों में पढ़े उसी के बल पर
आफिसर बन बैठे और
अब अपने बच्चों को पढ़ाते हैं
इंग्लिश मीडियम प्राइवेट स्कूलों में।
स्कूल में इंग्लिश का बोलबाला
घर में हिंदी या क्षेत्रीय भाषा
स्टूडेंट कहीं का न रहा
न हिन्दी में रवानगी
न इंग्लिश में।
हिंदी दिवस की शुरुआत हुई थी हिंदी के प्रचार प्रसार के लिए
पर टीवी, मोबाइल, व्हाट्सएप, फेसबुक, इंस्टाग्राम ने पढ़ने की आदत पर ही
पानी फेर दिया।
विनती मेरी यह है
आप सब से
मुझे वह दर्जा दिलाएं
जिसकी मैं हकदार हूं।