एक समय की बात
एक समय की बात
एक समय की बात
मनुष्य न था मनुष्य
था एक पशु
वन में रहता था
फल खाता, शिकार करता
जानता केवल एक पाठ
खुद का जीवन बचाना
बचकर या मारकर
एक समय की बात
मनुष्य पशु की बुद्धि तीक्ष्ण
आग खोज, पहिया खोज
पाषाण के अस्त्र खोज
दो पदों पर चलने बाला
मस्तिष्क से श्रेष्ठ बनता
एक समय की बात
मनुष्य पशु न रहा
मनुष्य बन रहा था
खुद के जीवन से आगे का चिंतक
मानवता का निर्माता
एक समय की बात
कुछ मानव मानव न रहे
पूर्वजों के संस्कार
पशुत्व मन पर हावी था
संघर्ष अनिवार्य था
मानवता के रक्षण को
गाथा बड़े बड़े संघर्षों की
एक समय की बात
लगता नहीं मानव मानव है
केवल खुद से आगे क्या सोचा
प्रकृति का हत्यारा
अगली पीढ़ियों का घाती
पशुत्व की तरफ मुड़ गया
पोलीथीन छोड़ नहीं रहा
आज के आनंद में प्रफुल्लित
कल को भूला
विवेकहीनता का रूप वृहद।
