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Mansi Desai

Action Fantasy

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Mansi Desai

Action Fantasy

एक शाम

एक शाम

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मैं चाहतीं हूं, एक शाम ऐसी भी आए,

जहां तुम नहीं, मैं तुम्हारे पास आऊँ।

तुम्हें भनक तक ना हो,

और तुम्हारा दरवाजा में खट खटाऊँ।

जब तुम दरवाजा खोलो,

तो सामने मुझे खड़ा पाओ।


कोई चौकने वाली बात तो नहीं है,

पर मैं सबसे हार जाना चाहती हूँ ,

क्योंकि मैं तुम्हें जीतना चाहती हूँ ,

तुम्हारे साथ जीना चाहती हूँ ।

लोगों से जीत के मुझे यह मुमकिन नहीं लग रहा,

इसीलिए हार जाना चाहती हूँ।


तुम दरवाजे के उस पार खड़े रहकर मुझे अंदर बुला लेना,

जैसे ही में अंदर आऊँ तो वह दरवाजा बंद हो जाएगा,

जहां में कभी वापस नहीं जाना चाहूंगी,

क्योंकि,

में मेरी दुनिया तुम्हारे साथ ही बनाना चाहती हूँ।

इसीलिए में एक ऐसी शाम चाहती हूँ।



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