Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Gulshan Sharma

Abstract

3  

Gulshan Sharma

Abstract

एक शाम हो

एक शाम हो

1 min
479


एक शाम हो,

जब थोड़ा आराम हो,

न चिंता फ़िक्र कल की में,

दिल दिमाग में घमासान हो,

काश एक ऐसी शाम हो,

जब थोड़ा सुकून,

थोड़ा आराम हो

जब खुद को माफ़ कर ही दिया हो,

जब खुद को सुनाई खुद की सज़ा खत्म हो

और पुरानी बातों पर उलझना कम हो,

जब एक दौड़ से निकाल

खुद को दूसरी में फेंकना ना हो,

जब खुद की ज़िंदगी से थक

किसी और की देखना ना हो,

जब झूठ का पर्दा गिरने पर भी

मेरी शख्सियत खूबसूरत लगे,

जब दिखा सकूं मैं सबको की

पंख मेरे भी हैं थके,

एक शाम हो जब मैं

अपना इंसानी चोगा पहनकर,

सबको मेरा भगवान ना होना दिखा सकूं,

जब मैं भी रोकर किसको

अपने गले लगा सकूं,

एक शाम हो,

काश एक ऐसी शाम हो।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract