STORYMIRROR

Seema(Simi) Chawla

Abstract

3  

Seema(Simi) Chawla

Abstract

एक फूल खिला

एक फूल खिला

1 min
183

यह उलझी हुई तारों के बीच 

खिला एक फूल 

कहता मुझसे उदास ना हो तू 

मैं भी खिला हूँ इसके बीच 

एक दिन तू भी खिलेगा मेरी तरह

बस इंतज़ार कर सही वक्त का 

बदलता रहना इसकी फ़ितरत है 

आज अंधेरी रात है तो क्या हुआ 

कल सुबह की किरणों में यह फिर महकेगा 

यह उलझी हुई तारों के बीच खिला एक फूल 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract