एक फूल खिला
एक फूल खिला
यह उलझी हुई तारों के बीच
खिला एक फूल
कहता मुझसे उदास ना हो तू
मैं भी खिला हूँ इसके बीच
एक दिन तू भी खिलेगा मेरी तरह
बस इंतज़ार कर सही वक्त का
बदलता रहना इसकी फ़ितरत है
आज अंधेरी रात है तो क्या हुआ
कल सुबह की किरणों में यह फिर महकेगा
यह उलझी हुई तारों के बीच खिला एक फूल