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Mukesh Bissa

Abstract

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Mukesh Bissa

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एक नई शुरुआत

एक नई शुरुआत

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हम तुम दोनों बैठ यहाँ पर

यादगार सी मुलाकात करते हैं

नये सिरे से फिर संबंधों की

अच्छी सी शुरुआत करते हैं।

 

हाथ बढाता हूँ मैं अपना

अपना हाथ बढाओ तुम

हम तुम दोनों मिल जीवन को

खुशियों की सौगात करते हैं।

 

इन्ही अपनों के संग हम दोनों को

एक सपनों का महल बनाना है

दावानल की आग बुझा कर

सावन की बरसात करते हैं।

 

आपस के सब गीले शिकवे

कही पे दफन कर दें

प्रेम के अंकुर फूटने लगे

ऐसे कुछ हालात करते हैं।

 

मैं सुनाऊं तुझे अपनी

तू अपनी सुनाए कहानी

पीड़ा हर ले एक दूजे की

 ऐसे वाक्यात करते हैं।


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