एक मुस्कान
एक मुस्कान
.....एक मुस्कान....
एक मुस्कान,
कितना निश्छल, कितना पावन ,
एक मुस्कान लाती सुकून ,
चाहे हो बचपन, बुढापा या यौवन ।
एक मुस्कान,
फुटपाथ पर खुशियाँ बिखेरता बचपन ,
लेकर आशा भरी प्यारी सी एक मुस्कान ,
चूल्हे पे बनता खाना को देखता बचपन,
चूल्हे के धुएँ में भी दिख जाती वो मुस्कान,
निर्मल, स्वच्छ, स्पष्ट एक मधुर मुस्कान,
जब हँसने लगता खिलखिलाकर बचपन,
तब भूख भी साथ में उसका देती एक मुस्कान।
एक मुस्कान ,
मजबूत बनाती दोस्ती का एक अटूट बन्धन,
रिश्तों के डगर पे चलना करदेती आसान,
हर गम छिपाकर जीना सीखा देता जीवन ,
क्रोध को बश में करना सीखाती है मुस्कान ,
ठोकर खाकर संभलना सीखा देती है एक मुस्कान ।
एक मुस्कान...कितना निश्छल...कितना पावन ...है मनभावन ,
भर देती उमंग ...खिलखिलाता जीवन...बस एक मुस्कान ।
