एक कथा: माँ सीता (जन्म)
एक कथा: माँ सीता (जन्म)
मिथिला की धरती में जन्मी,
जनक दुलारी जनक नंदिनी,
माटी से जन्मी ये काया,
सीता जिसने नाम था पाया,
रावण का ये काल बनेगी,
भारत का इतिहास बनेगी,
साधुओं की ये वाणी थी कि,
सीता नए जग का आधार बनेगी,
इसके पतिव्रत धर्म के कारण,
याद इसे जग रखेगा,
सदियाँ लाखों बीतेंगी पर,
ये स्त्री स्वाभिमान बनेगी,
बाल्यावस्था मिथिला में सिया की,
समय चक्र में बीत रही थी,
शस्त्र शास्त्र आदर्श सभी,
सीता हर दिन सीख रही थी,
अद्भुत पुत्री अद्भुत शिष्या,
अद्भुत वो राजकुमारी थी,
मिथिला का गौरव थी वो,
जनक की राजदुलारी थी,
पर लगाकर समय उड़ा,
पल में बचपन बीत गया,
कोमल बाल्यकाल सकल सम,
खिंच आई यौवन की रेखा,
सिय विवाह के लिए जनक पर,
चिंता एक अति भारी थी,
योग्य वर का चयन कर सकें,
ये बड़ी बहुत ज़िम्मेदारी थी,
तब सिय विवाह के लिए जनक ने,
उत्तम निति एक बनायी,
सुयोग्य वर हेतु भारत में,
स्वयंवर की घोषणा करवायी।