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Avneet kaur

Abstract

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Avneet kaur

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एक किताब

एक किताब

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एक किताब की तरह होती है ज़िन्दगी

पिछले पन्ने पढ़ते हैं तो ज़ख्म गहरे होते हैं

आगे वाले पन्ने पढ़ने का साहस नहीं होता

बस एक सर्कस के जोकर की तरह बन कर रह गई है ज़िन्दगी


एक किताब की तरह होती है ज़िन्दगी

कभी हँसती है तो कभी रुलाती है

कभी जीने तो कभी मरने के लिए कहती है

बस एक बिन पानी के पौधे की तरह बन कर रह गई है ज़िन्दगी


एक किताब की तरह होती है ज़िन्दगी

कभी मशहूर तो कभी बदनाम करती है ज़िन्दगी

कभी दर्द देती है तो कभी मरहम बनती है

बस एक अधूरे दिल की दास्ताँ बन कर रह गई है ज़िन्दगी


एक किताब की तरह होती है ज़िन्दगी

कभी एक को दूसरे से दूर तो कभी पास लाती है

कभी बच्चे को दुनिया और बूढ़े को शमशान लाती है

बस एक बिन स्याही की कलम की तरह बन कर रह गई है ज़िन्दगी!


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