एक किताब है ज़िन्दगी
एक किताब है ज़िन्दगी
बनते बिगड़ते हालातों का
हिसाब है जिंदगी,
हर रोज एक नया पन्ना जुड़ता है
जिसमें वो ही एक किताब है जिंदगी।
हर पल एक नया किस्सा,
तैयार रहता है अपना अंत पाने को,
ग़मों के दौर में खुशियों की
राह तकते हैं कई लोग,
तड़पते हैं पेड़ और पंछी
पतझड़ में जैसे बसंत पाने को।
कभी कड़ी धूप सी
परेशानियाँ जलाती रहती हैं
दर्द की एक आग सीने में।
कभी खुशियों में आनंद मिलता है
तो खुशबू आती है पसीने में,
मजबूरियों का सिलसिला
चलता रहता है सबकी राहों में।
बदल देते हैं वो शख्स कायनात
अपनी होती है जान हौसलों की
जिनकी बाँहों में।
छिपा कर रखती है कई राज
अनजाने से
कहने को वो हिजाब है जिंदगी
हर रोज एक नया पन्ना जुड़ता है
जिसमें वो ही एक किताब है जिंदगी।