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Himanshu Sharma

Tragedy

4  

Himanshu Sharma

Tragedy

एक ज़माना गुज़र गया

एक ज़माना गुज़र गया

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80


धूल बैठ चुकी है घर की हर चीज़ पर,

दोस्तों को आये एक ज़माना गुज़र गया!

रौनकों की कब मेहर होगी नाचीज़ पर,

दोस्तों को आये एक ज़माना गुज़र गया!

इस्त्री अब भी साबूत है हरेक क़मीज़ पर,

दोस्तों को आये एक ज़माना गुज़र गया!

कब जाम की बूँदें गिरेंगी दोस्ती के बीज पर,

दोस्तों को आये एक ज़माना गुज़र गया!

दौर-ऐ-वबा में नेमत हो मेरे हर अज़ीज़ पर,

दोस्तों को आये एक ज़माना गुज़र गया!


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