एक इंसान बन जाऊँ
एक इंसान बन जाऊँ
एक पंछी की उड़ान बन जाऊँ , एक फूल की मुस्कान बन जाऊँ,
घटा की बरसती बूँद बन जाऊँ, हवा के झोंके की झंकार बन जाऊँ,
पर जब खुदा ने मुझे बनाया मनुष्य, तो क्यों न एक इंसान बन जाऊँ।
किसी निराश की आस बन जाऊँ, किसी दर्द की दवा बन जाऊँ।
किसी चेहरे की मुस्कान बन जाऊँ, किसी बेचैनी का चैन बन जाऊँ,
पर जब खुदा ने मुझे बनाया मनुष्य, तो क्यों न एक इंसान बन जाऊँ।
अंधेरी राहों का दीप बन जाऊँ, किसी सूनेपन का मीत बन जाऊँ,
किसी निराश की आस बन जाऊँ, किसी जीवन को रंग जाऊँ,
पर जब खुदा ने मुझे बनाया मनुष्य, तो क्यों न एक इंसान बन जाऊँ।
किसी दरिया का पुल बन जाऊँ, सागर की लहरों का तट बन जाऊँ,
किसी रात की सुबह बन जाऊँ, किसी पतझड़ की बहार बन जाऊँ,
पर जब खुदा ने मुझे बनाया मनुष्य, तो क्यों न एक इंसान बन जाऊँ।
किसी राहगीर के लिए रहनुमा बन जाऊँ, किसी पथिक की छाँव बन जाऊँ,
किसी प्यासे की प्यास बुझाऊँ, किसी भूखे की भूख मिटाऊँ,
पर जब खुदा ने मुझे बनाया मनुष्य , तो क्यों न एक इंसान बन जाऊँ।
किसी की नफरत का प्यार बन जाऊँ, किसी बैर की प्रीत बन जाऊँ,
किसी निर्बल का बल बन जाऊँ, किसी सवाल का हल बन जाऊँ,
पर जब खुदा ने मुझे बनाया मनुष्य, तो क्यों न एक इंसान बन जाऊँ।
किसी शायर की ग़ज़ल बन जाऊँ, किसी लेखक की कलम बन जाऊँ,
किसी पीड़ा की आह बन जाऊँ,किसी कवि का राग बन जाऊँ,
पर जब खुदा ने मुझे बनाया मनुष्य, तो क्यों न एक इंसान बन जाऊँ।
तो क्यों न एक इंसान बन जाऊँ।
