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SRI HARSHA PEESAPATI VENKATA PHANI DURGA

Drama

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SRI HARSHA PEESAPATI VENKATA PHANI DURGA

Drama

एक गलत फैसला

एक गलत फैसला

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एक ग़लत फ़ैसला

तय किया काफिला

ना धड़ पाया

ना सर छिपा पाया,

अभी भी दूसरा मोड़ 

ना मिला


भीख माँगी

राख मिली

आँख नम होने से रही

मैं दर्द बाँटने से रहा

और बाँटने से भी


नौकरी करने की

खुद्दारी ने

शायद बचा लिया

हिफ़ाज़त मुझे

खुद की है करनी


ज़ारूट भी दुनिया को

मेरी है होनी

अफ़साने बनता चल रहा

ज़िंदगी और वक़्त से डर

परछाई मे सिमट रहा।


ऐसा क्या तो हो रहा

मुझे भी दर्र खा रहा

आसमान कला हो रहा

मेरा दिल तन्हा हो रहा।


रास्ते के पतहर फोड़ दूँगा

पर हत्यार तो हो

पानी से पतहर

चीरने समय लगेगा।


अब मैं लिख भी तका

मैं कहाँ का हूँ पता है

"कल को कहाँ रहूँगा ?

पेट का गुज़र बसर


तक़दीर से नहीं शायद !

मुझ से हो ही जाएगा।

लेकिन मेरे जो शौक

होने वेल है "डजन दो

डज़न और उनके अंडे,

उनका क्या करूँगा।


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