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SRI HARSHA PEESAPATI VENKATA PHANI DURGA

Romance

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SRI HARSHA PEESAPATI VENKATA PHANI DURGA

Romance

30-1-13 hindi

30-1-13 hindi

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203


देखते ही लगा, हुस्न की मीठी हवा लहरा रही,

तीख़े तेवर कभी, जो शर्म से हया को गले लगाते

तारीफ तुम्हारे चेहरे की मेरे होंटो से निकल रही।

आंदाज तुम्हारा मेरा अपना अपना

शायद मैं बहक जाऊं या देख रहा सपना!

औकात नहीं मेरी, तुमसे नज़र मिलाऊं

पर ख्वाहिश है, तुम्हे तुम्हारा हुस्न दिखाऊं

वादा रहा मेरा,

बस तुम ये पढ़ लो।

शायद तुम्हें तुम्हारा हुस्न मेरी आँखों से दिखे

सांसो से छुए मेरे लबों से चखे

तुम्हारी भी यही तमन्ना पूरी हो

हम करेंगे ऐसा

वादा रहा।



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