SRI HARSHA PEESAPATI VENKATA PHANI DURGA
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थक चुका
अब शब्द भी
ना रहे
न आ रहे
पर कहाँ खुश भी मैं
आँखें आँसू पी रही
ना मैं स्नातक
ना मेरा कोई विज्ञापन
आस मेरा मच्छर सा
खून चूस रहा
प्यास मेरा
मुड़ कर तक रहा
बस और क्या
सपने
22-10-2013 Hi...
एक गलत फैसला
शब्द
30-1-13 hindi
बेकसूर
23-07-2015 Hi...