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SRI HARSHA PEESAPATI VENKATA PHANI DURGA

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SRI HARSHA PEESAPATI VENKATA PHANI DURGA

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शब्द

शब्द

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थक चुका

अब शब्द भी 

ना रहे

न आ रहे

पर कहाँ खुश भी मैं

आँखें आँसू पी रही


ना मैं स्नातक

ना मेरा कोई विज्ञापन

आस मेरा मच्छर सा

खून चूस रहा

प्यास मेरा 

मुड़ कर तक रहा

बस और क्या



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