एक चिट्ठी दिल से
एक चिट्ठी दिल से


काग़ज़ तुम लेते आना,
क़लम दिल की पास है।
स्याही की चिंता न करना,
अश्कों का सैलाब है।
कोरे काग़ज़ पे अपने,
जज़्बात उकेरूँगी लिखकर।
बस इतनी इल्तिजा है तुमसे,
फाड़ न देना तुम पढ़कर।
काग़ज़ तुम लेते आना,
क़लम दिल की पास है।
स्याही की चिंता न करना,
अश्कों का सैलाब है।
कोरे काग़ज़ पे अपने,
जज़्बात उकेरूँगी लिखकर।
बस इतनी इल्तिजा है तुमसे,
फाड़ न देना तुम पढ़कर।