STORYMIRROR

Amit Kumar

Classics Inspirational

4  

Amit Kumar

Classics Inspirational

एक बार फिर

एक बार फिर

1 min
249

एक बार फिर 

सुबह हो रही है

किसी की उम्मीदों की

किसी के अरमानों की


किसी की नाराज़ मुहब्बत की

किसी की बैखौफ मुहब्बत की

किसी की बेनाम और 

गुमनाम मुहब्बत की

और किसी की 


बेइंतेहा मुहब्बत की

न जाने क्या क्या

दिल में लोग बसाये है

क्या क्या सपने है


जो रात ने अपने

दामन में सजाये है

फिर उदघोष हो रहा है

एक नए आयाम का


एक शरारत फिर 

शुरू हो रही है

किसी के नाम पर

एक जयकारा फिर लगेगा 

किसी के नाम पर


आज एक हौसला 

फिर खड़ा है 

अपने उसी मुक़ाम पर

जहाँ एक सुबह हो रही है

किसी की कामयाब मुहब्बत की।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics