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Anand Kumar

Romance

4.5  

Anand Kumar

Romance

एक और नज़्म

एक और नज़्म

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लिखा है मैंने ये

एक और नज़्म

तेरी तारीफ़ में,

कि, पेश है एक बार फिर

एक नई कोशिश मेरी, 

आज तेरी ख़िदमत में


पर आज ये नज़्म भी 

बार बार पूछ रहा मुझसे,

कभी अपने लबों से

पढ़ दे तू इसे, 

ऐसा मुबारक लम्हा 

क्या है मेरी किस्मत में ?



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