ए दोस्त नहीं भुला सकता तुझे
ए दोस्त नहीं भुला सकता तुझे
ज़िन्दगी के इस सफर में, कुछ लोग ऐसे मिल जाते हैं,
अपनों से भी बढ़कर वो, कुछ अपने से लगने लगते हैं
मन से ही जुड़ जाते हैं शायद, भावनाओं के कुछ तार,
इसी तार से तो दिल दोस्ती का बंधन करता है स्वीकार,
हम तुम भी तो कुछ ऐसे ही मिले,अजनबी एक दूजे से,
दोस्ती का जुड़ा ऐसा बंधन, प्यारा हो गया हर रिश्ते से,
हो गए हम दूर ज़रूर, जीवन के सफ़र में चलते-चलते,
आज भी जुबां थकी नहीं, दोस्ती की बातें करते-करते,
ए दोस्त नहीं भूला सकता तुझे, और न ही तेरी दोस्ती,
याद है आज भी वो लम्हा, कितनी करते थे हम मस्ती,
मेरी ज़िंदगी के हर लम्हें में तुम शामिल हो ए दोस्त मेरे,
तुम्हारा जिक्र आ जाता है ऐसे मानो जैसे करीब हो मेरे,
दिल के कोने में रहती है सदा हमारी दोस्ती की तस्वीर,
नसीब भी मिटा नहीं सकती है, दोस्ती वाली वो लकीर,
कोशिश तो रहती वक़्त निकाल सकूंँ तुमसे मिलने का,
पर ज़िंदगी भी कोई मौका नहीं छोड़ती है उलझाने का,
ए दोस्त कभी वक़्त मिले तो, तुम भी आ जाना मिलने,
बहुत दिन हुए चलेंगे फिर वही निक्कर वाली चाय पीने,
मिल बैठेंगे दो यार हम, ज़िंदगी की इस ढलती शाम में,
सजाएंगे महफ़िल, बिताएंगे हर लम्हा दोस्ती के जाम में।