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Shruti Kaushik

Abstract

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Shruti Kaushik

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दुनिया के रंग में

दुनिया के रंग में

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दुनिया के हर रंग में रंग जाऊं यह मुनासिब तो नहीं, 

रंग तो बहुत है दुनिया के हर रंग को

अपना बनाओ यह वाजिद तो नहीं।  

                

मिल तो जाते हैं भगवान हर इंसान में,

उसकी मूरत को सजाओ यह जरूरी तो नहीं ।

    

कहते हैं खुदा बसता है हर दिल में,

खुद के दिल को भुला कर खुदा को मनाऊँ

ये मुकम्मल खुदाई तो नहीं।


दुनिया के हर रंग में रंग जाऊं

यह मुनासिब तो नहीं, 

खुद को भूल कर दुनिया को

चाहूं यह मेरी आदत तो नहीं।


रंग तो बहुत हैं दुनिया में पर

हर रंग में रंग जाऊं ऐसी मेरी फितरत नहीं।


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